झारखंड से प्रवासित असम के चाय बगान के जनजातियों की सबसे बड़ी समस्या आज देश में उनकी पहचान की है , आज उनकी पहचान धूमिल होती जा रही है ,झारखंड में जनजाति की दर्जा प्राप्त आज असम में प्रवासित हो कर अपनी पहचान के लिए दर -दर भटक रही हैं | इन्हें असम में tea tribe कहाँ जाता हैं | 19 वीं शताब्दी में चाय बागन में कम करने का लिए और चाय की खेत तैयार करने के लिए झारखंड सहित देश के विभिन राज्यों से बहुत सारे जनजातियों को प्रवासित किया गया था | 100 वर्षो से अधिक समय से रह रहे झारखंड सहित, ओड़िसा, छतीसगड, बंगाल, बिहार के जनजातियों की पहचान के लिए उन्हें st में शामिल करने के उद्देश से झारखंड सरकार ने असम सरकार को एक प्रस्ताव तैयार कर भारत सरकार को भेज दिया हैं | इस में झारखंड से प्रवासित असम चाय बगान के ex tea tribe कहे जाने वाले हमारे परिवारों को असम में अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त करने की आग्रह किया गया हैं |
नई सुबह इतनी सुहानी हो जाए , अपने दुखो की सारी बतें पुरानी हो जाए, दे जाए इतनी खुशिया ये दिन आपको,की ख़ुशी भी आपकी मुस्कुराहट की दीवानी हो जाए , आपका दिन शुबह की आगाज है जय जोहार
झारखंड से प्रवासित असम के चाय बगान के जनजातियों की सबसे बड़ी समस्या आज देश में उनकी पहचान की है , आज उनकी पहचान धूमिल होती जा रही है ,झारखंड में जनजाति की दर्जा प्राप्त
ReplyDeleteआज असम में प्रवासित हो कर अपनी पहचान के लिए दर -दर भटक रही हैं | इन्हें असम में tea tribe कहाँ जाता हैं | 19 वीं शताब्दी में चाय बागन में कम करने का लिए और चाय की खेत तैयार करने के लिए झारखंड सहित देश के विभिन राज्यों से बहुत सारे जनजातियों को प्रवासित किया गया था | 100 वर्षो से अधिक समय से रह रहे झारखंड सहित, ओड़िसा, छतीसगड, बंगाल, बिहार के जनजातियों की पहचान के लिए उन्हें st में शामिल करने के उद्देश से झारखंड सरकार ने असम सरकार को एक प्रस्ताव तैयार कर भारत सरकार को भेज दिया हैं | इस में झारखंड से प्रवासित असम चाय बगान के ex tea tribe कहे जाने वाले हमारे परिवारों को असम में अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त करने की आग्रह किया गया हैं |